ठंडी लाग् रातड़ी दुई गोदड़ी की दूण
मीठी-मीठी राबड़ी घीव मs लपट्या प्राण।
दादा बैठ्या तापणी दुई लक्कड़ की गौड़,
चूल्हा ऊपर चासणी दूध -जलेबी जोड़।
दांड़या धाणी लापसी मण भेळी को गुड़
लिम्बु बोर इमली चटनी चाटो लूण।
मिरी मस्की तेल मs लई कांदा की फांक
मका- ज्वार का रोटळा भाजी अम्माडी रांद ।
मगरा उप्पर कागलो आया दुई मीमांन,
हऊ भी भुको नी रवु तू क्यों भुको जाय।
राम को देणु राम को खाणु फिर केको गुम्मान ,
हऊ छे थारो मेजबान तू म्हारो मीमांन।
-सुनीता इंदौर
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