मंगलवार, 29 जनवरी 2013

कृषि में महिलाओ का योगदान


                 कृषि में महिलाओ का योगदान             
                                                                                                                                              
मनुष्य शरीर को उर्जा की ज़रूरत होती है उर्जा मिलती है भोजन से.......और भोजन मिलता है अनाज से........अनाज  पैदा करता है किसान जो एक अनाज का दाना बोता है समय पर  खाद ,पानी देता है   निदाई, गुड़ाई  करता है .फसल की चोकन्नी देखभाल करता है और अपनी मेहनत से एक दाने को हजार दाने में बदल देता है ...इन हजार दानो को पिस कर आटा बनाया जाता है उससे बनती है एक रोटी जिससे हमें उर्जा मिलती है
रोटी के इस एक दाने से हजार दाने  और हज़ार दाने से एक रोटी बनाने के सफर में मूक कर्मिणी की तरह कार्य करती है महिला कृषक ...महिलाये  कृषि की रीड़ की हड्डी है और कृषि भारत की रीड़ है क्योकि भारत एक कृषि प्रधान देश है तो फिर महिलाओ  की  अनदेखी क्यों ?  महिलाओ की  खेती में प्रत्यक्ष भागीदारी को बढावा दिया जाना चाहिए महिला आधारित कृषि निति लागु हो .महिला लघु उद्द्योग .कुटीर उद्योग  में कोशलता बढाने का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए .परंपरागत धंधो में  महिलाओ की  कार्य कुशलता को बदावा मिलना चाहिए. महिलाओ की कल्पना सरचानात्मकता का पूर्ण दोहन  हो सकता है .जब ग्राम्य आधारित आर्थिक कृषि  योजनाओ  में महिलाओ की भागीदारी हो .

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