मंगलवार, 2 जुलाई 2013

निमाड़ के पारंपरिक आभूषण-गहने

    निमाड़ के  पारंपरिक आभूषण-गहने
   
   श्रृंगार जीवन का  निरार्गिक गुण है श्रृंगार  मे आभूषणो का महत्व अधिक है   आदि काल से पर्ण-लताओ ,फूलो-पत्तियों से श्रृंगार किया जाता था। शायद  यही कल्पना और कर्म की प्रथम कलात्मक अभिव्यक्ति होगी शनै शनै  मानवीय विकास के साथ फूलो लताओ की जगह धातुओ ने ले ली ।आभूषण स्त्री जाती का विशेष अधिकार है जो उसे बाह्य स्वरूप को निखारने मे मदद करते है वही आंतरिक सोंदर्य की अभिव्यक्ति की पूर्ति भी करते है व आभूषण सजीले स्वप्न संसार मे ले जाते है जिसकी सम्राज्ञी वो स्वयं होती है । 

आभूषण का अर्थ अलंकरण  तो, गहने  का अर्थ  ग्रहण करने के लिए प्रयुक्त होता  है आभूषणो मे मानव विकास की कई कड़िया गूँथी  है जो अपने मे सम्पूर्ण सांस्कृतिक कला और इतिहास समेटे हुए है गहनो के रूप मे संस्कृति   का सम्पूर्ण स्वरूप देखा जा सकता है ।
भारतीय लोक संस्कृति मे सोलह श्रृंगार का ऊल्लेख मिलता है उसमे आभूषणो का  द्वारा किए जाने वाले श्रृंगार प्रमुख  है। निमाड़ी लोकगीतों  मे सोलह श्रृंगार की केन्द्रीय भूमिका है ।  निमाड़ी लोकगाथा मे सोलह श्रृंगार के लिए अपरंग सिणगार शब्द प्रयुक्त हुआ है जिसका अर्थ नखशिख श्रृंगार होता है।  

गहने नारी के  सौभाग्य के प्रतीक है विवाहित स्त्रीयो को हाथ मे चुड़िया ,पैर  की उँगलियो मे बिछिया ,कान मे कोई न कोई गहना ,गले मे मंगलसूत्र और माथे पर बिंदिया लगाना अनिवार्य है  पर कुवारी कन्या के लिए मंगल सूत्र बिछिया पहनना वर्जित है,  सात फेरो के बाद ये दोनों  सौभाग्य चिन्ह स्त्री को धारण करना अनिवार्य है।
आभूषण कई प्रकार की धातुओ से निर्मित होते है जिसमे स्वर्ण सबसे अधिक मूल्यवान और लोकप्रिय हैं स्वर्ण(सोना)  के अलावा चाँदी ,गिलट ,अलुमिनियम  के आभूषण पहने जाते है । इसके अलावा हाथी दाँत ,लकड़ी लाख, सीप, शंख मूंगा ,मूल्यवान पत्थर भी लोकप्रिय है ।
निमाड मे शरीर के विभिन्न अंगो मे पहने जाने वाले आभूषण प्रचलित है----

1 जैसे पाव मे पहने जाने वाले गहने ---- तोला ,कल्ला, आवला, वाक्ड्या रामझोड़ ,चंपक ,कड़ी,नेवरी,पायजेब  तणका ,झांझिरया टोडर ,लच्छी ।
2 पाव की उँगलियो मे पहनने वाले आभूषण ,गहने ---बेला ,बिछिया ,गोल अनवट ।
3 कमर मे पहनने वाले आभूषण ,गहने --- कंडोरा ,छल्ला ।
4 बाह पर पहनने वाले आभूषण,गहने ---बावटया ,बाजूबंद ,भुजबंद ,तड्डा ।
5 हाथ मे पहनने वाले आभूषण,गहने ---चूड़ी, काकड़ी करोन्दी,डालकड़ा,बंद ,हाथसाकली ,मुंडी ,पाटली ,कावली देवड़िया,और अंगूठी।
6 गले मे पहनने वाले आभूषण ,गहने--- मंगलसूत्र, ठुस्सी,गल्सणी,दुलरी बज्जट्टी,टिमन्या,साकली ,दोरा,हार ,पंद्रहदाणी, तागली, पोत, हंसली ,बंधनि ,कंठी।
7 कान मे पहनने वाले आभूषण गहने --- टोडी, झुमका . करण फूल , लटकन तोगला,वगन्या, बाली,कुयड़ुय,बाला, मुरकी ।
8 नाक मे पहनने वाले आभूषण गहने ---नथ, बेसर, काँटा, लौंग ,बाली ।
9 माथे पर  पहनने वाले आभूषण गहने --- बिंदी ,बोरा ,राकड़ी,टीका भमर
10 बालो मे पहनने वाले आभूषण गहने --- चोटीबंद, कीलिप आकडा ,झब्बा ।

    समय के साथ गहनों के रूप मे भी बदलाव हुआ प्राचीन आभूषणो का प्रचलन अब विलुप्त सा हो गया है इसका स्थान अर्वाचीन गहनों ने ले लिया है गहनों का मूल उद्देश्य सोंदर्य की वृद्धि करना है और यही धारणा प्राचीन व अर्वाचीन दोनों कालो मे नारी की भाव-अभिव्यक्ति मे अनवरत प्रवाहित है,निमाड़ी गहने भी निमाड की पारंपरिक कला-संस्कृति को सजोए हुए नारी मन को अभिव्यक्त करते है।  



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